फिर एक सर्द ठिठुरा हुआ दिन दबे पाँव चलता हुआ बालकनी से कमरे में आया मुझे अपने बिस्तर में दुबका हुआ देख कर मुस्कुराया
5.
पटरियों पर लुढ़कते लोहे के पहिये लगभग नियमित लय की खटर-पटर के साथ लक्ष्य का फासला तय कर रहे थे. खिड़की से बाहर उसने नज़र डाली, एक अजीब सी शांति में परिदृश्य ठिठुरा हुआ था.एकमात्र गाड़ी ही जीवन की लय में बज रही थी.